HINDUSTAN KI JANANAT KASHMIR
Kashmir
कश्मीर भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। हालांकि, कश्मीर का इतिहास काफी जटिल रहा है, जिसमें कई उतार-चढ़ाव और संघर्ष शामिल हैं ¹.
कश्मीर का इतिहास
कश्मीर का इतिहास काफी पुराना है, जो महाभारत और रामायण काल से जुड़ा हुआ है। मध्यकाल में कश्मीर पर कई राजवंशों का शासन रहा, जिनमें कश्मीरी पंडित, मुस्लिम सुल्तान और मुगल शामिल हैं। 19वीं शताब्दी में कश्मीर पर डोगरा राजवंश का शासन था, जो 1947 में भारत की स्वतंत्रता के समय तक चला .
धारा 370
1947 में भारत की स्वतंत्रता के समय, कश्मीर पर पाकिस्तान के हमले के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ। इसके परिणामस्वरूप, कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला गया, जबकि शेष भाग भारत में शामिल हो गया। 1950 में, भारतीय संविधान में धारा 370 जोड़ी गई, जो कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करती थी। इस धारा के तहत, कश्मीर को अपना संविधान और अपनी सरकार बनाने का अधिकार था .
धारा 370 के प्रमुख प्रावधान
- कश्मीर को अपना संविधान और अपनी सरकार बनाने का अधिकार।
- कश्मीर के नागरिकों को दोहरी नागरिकता का अधिकार।
- कश्मीर में भारतीय संविधान के कुछ प्रावधानों को लागू नहीं किया जा सकता था।
- कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का था, जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का था ¹.
धारा 370 का निरस्तीकरण
5 अगस्त 2019 को, भारत सरकार ने धारा 370 को निरस्त करने का फैसला किया। इसके परिणामस्वरूप, कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाली धारा 370 समाप्त हो गई। इसके बाद, कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख
निष्कर्ष
कश्मीर भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। धारा 370 के निरस्तीकरण के बाद, कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाली धारा समाप्त हो गई। इसके परिणामस्वरूप, कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख।



Comments
Post a Comment