JNU ka turkey ke Sath SAMJHUTA
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने तुर्की के एक विश्वविद्यालय के साथ हुए समझौते को स्थगित कर दिया है। यह फैसला भारतीयों द्वारा तुर्की के बहिष्कार की मांग के बीच आया है ।
जेएनयू के कुलपति ने एक बयान में कहा, "हम राष्ट्र के साथ खड़े हैं और तुर्की के साथ समझौते को स्थगित करने का फैसला किया है।"
इस फैसले के पीछे का कारण तुर्की का पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना है, जो भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है । तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के खिलाफ साजिश रची है, जिससे भारतीयों में आक्रोश फैल गया है ।
जेएनयू के इस फैसले का समर्थन कई अन्य विश्वविद्यालयों और संगठनों ने भी किया है। यह फैसला भारतीयों के बीच तुर्की के प्रति बढ़ते आक्रोश को दर्शाता है ।
तुर्की के साथ जेएनयू के समझौते को स्थगित करने के बाद, अन्य विश्वविद्यालयों और संगठनों को भी तुर्की के साथ अपने संबंधों की समीक्षा करनी चाहिए [3]। यह फैसला भारत की सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है ।
इस मुद्दे पर जेएनयू के कुलपति ने कहा, "हम तुर्की के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए तुर्की को अपने संबंधों को मजबूत बनाने के लिए कुछ कदम उठाने होंगे।"
यह फैसला भारतीयों के बीच तुर्की के प्रति बढ़ते आक्रोश को दर्शाता है और यह दर्शाता है कि भारत अपनी सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है ।
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