मुंबई ट्रेन दुर्घटना 2025: सिस्टम फेल या मानव भूल
मुंबई लोकल ट्रेन दुर्घटना – भीड़, लापरवाही और सुधार की पुकार
9 जून 2025 की सुबह करीब 9:30 बजे, मुंबई के ठाणे जिले में मुम्ब्रा और दिवा स्टेशनों के बीच एक दर्दनाक दुर्घटना घटी। इस हादसे में एक अत्यधिक भीड़-भाड़ वाली लोकल ट्रेन में कम से कम 8–13 यात्री झूल रहे थे, जिनमें से कुछ दूसरी ट्रेन के नजदीक आने पर संतुलन खोकर पटरी पर गिर गए। इस घटना में चार की मौत हो गई, जबकि नौ घायल हुए। शुरुआती रिपोर्ट में कुछ अन्य मृतकों की भी पुष्टि मिली; ग्रेजुएट एक व्यक्ति रेलवे पुलिस का कॉन्स्टेबल वड्डी विक्की मुख्याद भी शामिल है ।
घटना का संक्षिप्त विवरण
समय और स्थान: सोमवार, 9 जून, सुबह लगभग 9:30 बजे, मुम्ब्रा–दिवा के बीच, केसारा-CSMT कि लोकल ट्रेन ।
पीक–आवर भीड़: ट्रेन में बहुत भीड़ थी। कई यात्री फुटबोर्ड या खुली क्लोजर वाली दरवाजों पर खड़े थे, जो बेहद खतरनाक स्थिति बनाती है ।
दुर्घटना का कारण: दो स्थानीय ट्रेनों का निकट से गुजरना—एक के तेज़ झटके/झुकाव और दूसरी की सकारात्मक भीड़ से, यात्रियों के बीच बैग या शरीर टकराने पर हुआ संतुलन खोना ।
हादसे की तीव्रता: आधिकारिक जानकारी अनुसार लगभग 10–13 लोग ट्रेन से गिरकर ट्रैक पर आ गए ।
हताहत और घायल
मृतक: प्रारंभ में 4 की पुष्टि, कुछ रिपोर्टों में 5 तक संख्या बताई गई है । मृतकों में:
कोपरे/दिवा—मुम्ब्रा हादसे में गिरकर ड्यूटी पर तैनात रेल पुलिस कांस्टेबल विक्की मुख्याद भी शामिल था ।
अन्य तीन सामान्य यात्री: केतन सरोज, राहुल गुप्ता, मयूर शाह ।
घायल: कम से कम 6–9 लोग गंभीर रूप से घायल हुए, जिनमें से कुछ का इलाज जुपिटर अस्पताल, कलवा, शिवाजी महाराज अस्पताल और ठाणे जनरल अस्पताल में चल रहा है ।
मुंबई लोकल की पुरानी समस्या
मुंबई की लोकल ट्रेन "लाइफलाइन" मानी जाती है। परंतु पिछले दो दशकों में उत्तर और केंद्रीय रेलवे नेटवर्क पर 51,348 से लेकर 52,348 मौतें दर्ज हुईं—प्रति दिन लगभग 7 मौतें होती हैं ।
2023–24 के आंकड़ों में कल्याण (114–116 मौतें) और वसई (45 मौतें) अत्यधिक जोखिम वाले नोड्स हैं ।
एनसीआरबी के मुताबिक, 2018–22 में, महाराष्ट्र में अकेले ट्रेन गिरने/टकराव से 3,110 मौतें हुईं ।
राजनीतिक और सरकारी प्रतिक्रियाएँ
घटना के बाद विभिन्न स्तरों पर प्रतिक्रियाओं की झड़ी लगी:
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे दुखद बताया, घायल यात्रियों के बेहतर इलाज की व्यवस्था का निर्देश दिया और दुखियों को 5 लाख रुपये की सहायता देने का वादा किया ।
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आपात बैठक बुलाई, नॉन‑AC लोकल में जनवरी 2026 तक ऑटोमैटिक डोर लगाने और बेहतर वेंटिलेशन की योजना घोषित की ।
आपनी पार्टी और विपक्ष:
कांग्रेस (हरश्रवर्धन सपकाल) ने रेल मंत्री की जिम्मेदारी तय कर उनकी बर्खास्तगी की मांग की, साथ ही 25 लाख रुपये मुआवजे की मांग की ।
MNS (राज ठाकरे) ने प्रवासी प्रतिबाहनों पर सवाल उठाते हुए सिस्टम की गिरावट बताई ।
शिवसेना (उद्धव) के आदित्य ठाकरे ने रेल मंत्री पर तीखी टिप्पणी की: “Reel Mantri” ।
Sharad Pawar, Ajit Pawar और Eknath Shinde ने भी ऑटो‑डोर व अन्य सुरक्षा सुधारों की जोरदार मांग की ।
सुधार के लिए आक्रामक कदम
घटना के बाद रेल बोर्ड और केंद्रीय मंत्रालय ने कई ऐतिहासिक कदम उठाए:
1. **ऑटोमैटिक दरवाज़े (Automatic Door Closers)**
निर्माणाधीन सभी कोचों में स्वचालित दरवाज़े अनिवार्य।
मौजूदा कोचों में भी इन्हें लगाकर दोबारा डिजाइन किया जाएगा ।
2. वेंटिलेशन सिस्टम सुधार: नॉन‑AC कोचों में वेंटिलेशन बढ़ाने की योजना, जिससे अंदर की हवा ताज़ा रहे ।
3. तत्काल जांच और कड़ी कार्रवाई:
प्रथम समय में जीआरपी और रेलवे की उच्च‑स्तरीय जांच समिति गठन।
दोष पाए गए अधिकारी/कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी ।
फिर सवाल खड़ा होता है—
क्या यह हादसा सिर्फ एक दुर्भाग्य था, या वर्षों के राष्ट्रीय अथवा राज्य स्तर की उपेक्षा—जैसे प्लेटफॉर्म overcrowding, असुरक्षित यात्रा, पुराने कोच, सुरक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी—का परिणाम?
आंकड़े बताते हैं कि इसका हल केवल कोचों में बदलाव—ऑटो डोर या रीडिज़ाइन—से नहीं निकलेगा। बल्कि समग्र सुधार जैसे प्लेटफॉर्म crowd-control, ट्रेन आवृत्ति और जागरूकता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
मुंबई लोकल प्रणाली संकट में है। 9 जून की यह घटना केवल एक हादसा नहीं, बल्कि लगातार लापरवाही और असुरक्षा का प्रतीक है। चार–पाँच मौतें, नौ घायल, और पूर्व‑काल के हजारों मृतक—ये एक चेतावनी हैं। ऑटो‑डोर, बेहतर वेंटिलेशन, जांच‑कार्यवाही जैसे कदम सकारात्मक हैं, लेकिन स्थायी सुधार तब तभी संभव है जब:
रेल नेटवर्क की क्षमता और आवृत्ति पर ध्यान होगा,
प्लेटफॉर्म overcrowding को रोका जाएगा,
जनता को सुरक्षित यात्रा पर जागरूक किया जाएगा,
औरं सिस्टम बदलाव को टाल नहीं बल्कि तुरंत लागू किया जाएगा।
मुंबई के लाखों लोग प्रतिदिन रास्तों पर खड़ी ट्रेन, खुले दरवाज़ों और नगण्य स्पेस के बीच यात्रा करते हैं। यह घटना हमें याद दिलाती है कि किसी भी सुधार को सिर्फ घोषणाओं तक सीमित नहीं रहना चाहिए—नहीं तो अगला हादसा फिर उसी कोच, उसी प्लेटफॉर्म पर खड़ा होगा।
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