Educated, Empowered, and in Hijab
हिजाब से हार्वर्ड तक: मुस्लिम लड़कियों की नई उड़ान
कभी हिजाब को पाबंदी का प्रतीक माना जाता था। पर्दा करने वाली लड़कियों को अक्सर पढ़ाई, करियर या समाज में आगे बढ़ने के लायक नहीं समझा जाता था। लेकिन अब वक़्त बदल रहा है। आज मुस्लिम लड़कियाँ हिजाब के साथ स्कूलों, कॉलेजों और यहाँ तक कि दुनिया के टॉप यूनिवर्सिटी—जैसे हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड—में दाखिला ले रही हैं। वे सिर्फ पढ़ ही नहीं रहीं, बल्कि पढ़ाई, समाज सेवा, राजनीति और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में लीड कर रही हैं।
🎓 शिक्षा की ताक़त ने बदली तस्वीर
शिक्षा वो हथियार है जो हर दीवार को गिरा सकती है, और यही बात मुस्लिम लड़कियाँ साबित कर रही हैं। दुनिया भर में मुस्लिम महिलाएं अब शिक्षा को अपनी पहचान और आत्मनिर्भरता का ज़रिया बना रही हैं। वे डॉक्टरी, इंजीनियरिंग, सिविल सेवा, लॉ, पत्रकारिता और लेखन के क्षेत्र में आगे आ रही हैं। अब यह सोच कमजोर हो रही है कि मुस्लिम लड़कियाँ सिर्फ घर तक सीमित होती हैं।
आज भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, तुर्की, मिस्र और यूरोप-अमेरिका जैसे देशों में लाखों मुस्लिम छात्राएँ हिजाब या नक़ाब पहनते हुए अपने कॉलेज और यूनिवर्सिटी की टॉपर लिस्ट में जगह बना रही हैं।
🧕 हिजाब: रुकावट नहीं, पहचान है
कुछ साल पहले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक तस्वीर वायरल हुई थी। उस तस्वीर में एक मुस्लिम लड़की डिग्री पहने हुए थी, लेकिन चेहरा नक़ाब में छुपा हुआ था। दुनिया भर के मीडिया और सोशल मीडिया में यह फोटो 'Representation' की मिसाल बन गई। उस लड़की ने सिर्फ डिग्री नहीं ली थी — उसने यह भी साबित कर दिया कि पहचान को छोड़े बिना भी दुनिया में सबसे ऊँची जगहों पर पहुँचा जा सकता है।
🌍 दुनियाभर से प्रेरणादायक उदाहरण
मलाला यूसुफजई: पाकिस्तान की शिक्षा कार्यकर्ता, जो नोबेल शांति पुरस्कार जीत चुकी हैं। उन्होंने दुनिया को दिखाया कि डर से नहीं, हिम्मत से जिया जाता है।
Ilhan Omar: अमरीका की कांग्रेस सदस्य, जो हिजाब पहनकर संसद में जाती हैं। यह अपने आप में एक क्रांति है।
Rumana Monzur (बांग्लादेश): एक मुस्लिम महिला, जिन्हें उनके पति ने अंधा कर दिया क्योंकि वह पढ़ाई जारी रखना चाहती थीं। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कनाडा में लॉ की पढ़ाई पूरी की।
भारत की सिविल सर्विस टॉपर्स: हर साल यूपीएससी जैसी परीक्षाओं में मुस्लिम लड़कियाँ टॉप रैंक लेकर समाज की सोच को चुनौती दे रही हैं।
📖 बदलाव की बयार
अब मुस्लिम समाज में भी एक नई सोच उभर रही है। पहले जहाँ पर्दा करने वाली लड़कियों को स्कूल भेजने में संकोच किया जाता था, वहीं अब माँ-बाप खुद उन्हें कोचिंग सेंटर, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी और विदेश भेजने के लिए तैयार हो रहे हैं।
कुछ NGO और सोशल मीडिया कैंपेन भी इस सोच को बदलने में मदद कर रहे हैं। "Educate Muslim Girls" जैसे ऑनलाइन अभियान मुस्लिम समुदाय में शिक्षा के महत्व को उजागर कर रहे हैं।
💡 आधुनिकता और आस्था साथ-साथ
यह मान लेना कि धर्म और आधुनिकता एक-दूसरे के खिलाफ हैं, अब पुरानी सोच हो चुकी है। आज की मुस्लिम लड़की ये दिखा रही है कि वह अपने हिजाब के साथ भी स्मार्टफोन चला सकती है, कोडिंग सीख सकती है, रिसर्च पेपर लिख सकती है और बिज़नेस चला सकती है।
हिजाब अब सिर्फ एक परिधान नहीं, बल्कि आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास का प्रतीक बन गया है।
🧠 सोच बदलनी चाहिए, लड़कियाँ नहीं
समाज को यह समझने की ज़रूरत है कि किसी लड़की की तरक्की उसके कपड़ों या पहनावे से नहीं, उसकी मेहनत और सोच से तय होती है। हिजाब, नक़ाब या पर्दा किसी की प्रतिभा पर पर्दा नहीं डालता।
आज अगर एक लड़की हिजाब पहन कर लैब में रिसर्च कर रही है,
✍️ निष्कर्ष:
हिजाब अब रुकावट नहीं, रहमत बन चुका है। यह एक लड़की की पहचान, उसकी आस्था और आत्मसम्मान का प्रतीक है। जब मुस्लिम लड़कियाँ शिक्षा, सम्मान और आत्मबल के साथ आगे बढ़ती हैं, तो वे ना सिर्फ अपनी ज़िंदगी संवारती हैं, बल्कि पूरी क़ौम का नाम रोशन करती हैं।
> “नाज़ है मुझको मेरे हिजाब पर,
छुपा लिया है मैंने उसमें अपनी किताबों का नूर।”
आज की मुस्लिम बेटियाँ यह साबित कर रही हैं कि वह पर्दे में रहकर भी दुनिया के पर्दों पर छा सकती हैं। ज़रूरत है तो बस समाज की सोच को बदलने की — लड़कियों को नहीं।
> "I'm proud, my hijab is not a cage, but my crown —
It shields my soul and lifts me above every frown."
> "My hijab is my pride, not my shame —
A silent strength, not a worldly game."
Comments
Post a Comment