अनाम मिर्ज़ा ने क्यों छोड़ा Google Pay: एक नई सोच की शुरुआत"







हाल ही में सोशल मीडिया पर एक ऐसा बयान वायरल हुआ जिसने कई लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा।

 यह बयान न तो किसी राजनेता का था और न ही किसी फिल्मी सितारे का। बल्कि यह बयान था अनाम मिर्ज़ा का—भारत की टेनिस स्टार सानिया मिर्ज़ा की छोटी बहन, जो एक जानी-मानी फैशन एंटरप्रेन्योर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं।


अनाम मिर्ज़ा ने अपनी इंस्टाग्राम सीरीज़ “Little Changes, Big Impact” में बताया कि उन्होंने अपने फोन से सभी UPI ऐप्स—जैसे Google Pay, PhonePe और Paytm—हटा दिए हैं। उनके इस फैसले का कारण था: “No Scan = Less Spend”, यानी “अगर स्कैन नहीं करोगे, तो खर्च भी कम होगा।” यह एक बेहद साधारण सी बात लग सकती है, लेकिन आज के डिजिटल युग में यह एक साहसिक और सोच-समझकर उठाया गया कदम है।



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डिजिटल युग और खर्च की बढ़ती आदतें


आजकल अधिकांश लोग UPI (Unified Payments Interface) का उपयोग करते हैं। चाय वाले से लेकर ब्रांडेड शॉपिंग स्टोर तक हर जगह QR कोड स्कैन कर के भुगतान किया जा सकता है। यह सुविधा जितनी आसान है, उतनी ही खतरनाक भी साबित हो सकती है यदि खर्च करने की आदत अनियंत्रित हो जाए।


बिना कैश के, हमें यह महसूस नहीं होता कि हम कितना खर्च कर रहे हैं। स्कैन करते वक्त न तो कोई जेब से पैसे निकालने की झिझक होती है, न ही खर्च पर विचार करने का समय। अनाम मिर्ज़ा ने इसी “आसान सुविधा” के खतरे को समझा और अपने खर्चों पर नियंत्रण पाने के लिए UPI ऐप्स को हटा दिया।



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“No Scan = Less Spend” का मतलब क्या है?


यह वाक्य एक नए वित्तीय अनुशासन की ओर इशारा करता है। इसका मूल उद्देश्य यह है कि जब हमारे पास किसी भी चीज़ के लिए तुरंत भुगतान करने की सुविधा नहीं होगी, तब हम अनावश्यक खर्च करने से रुकेंगे।


यह एक प्रकार का “डिजिटल फास्ट” है—यानि आप खुद को ऑनलाइन ट्रांजैक्शन से दूर रखते हैं ताकि आप सोच-समझकर ही पैसा खर्च करें।



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सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया


जैसे ही अनाम मिर्ज़ा का यह वीडियो वायरल हुआ, लोगों की प्रतिक्रियाएं भी आने लगीं।


कुछ लोगों ने इसे प्रेरणादायक कदम बताया और कहा कि वे भी इस आइडिया को अपनाना चाहेंगे।


कई यूज़र्स ने लिखा कि डिजिटल पेमेंट छोड़ना उनके लिए संभव नहीं है, लेकिन वे भी अपने खर्च पर ध्यान देना शुरू करेंगे।


कुछ ने इसे प्रिविलेज (विशेष सुविधा) कहा—क्योंकि हर कोई इतना सहज नहीं कि नकद भुगतान कर सके या ऑनलाइन शॉपिंग से खुद को दूर रख सके।



लेकिन एक बात स्पष्ट है—अनाम मिर्ज़ा की यह सोच लोगों को वित्तीय आत्मचिंतन की ओर प्रेरित कर रही है।



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सानिया मिर्ज़ा का नाम क्यों ट्रेंड करने लगा?


अनाम का बयान वायरल होते ही लोग सानिया मिर्ज़ा का नाम सर्च करने लगे। इसका कारण स्पष्ट है—जब किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के परिवार से जुड़ा कोई व्यक्ति कोई खास बयान देता है, तो लोग उस व्यक्ति के बारे में भी जानकारी ढूंढने लगते हैं।


इसलिए गूगल पर आज “सानिया मिर्ज़ा” ट्रेंड करने लगीं, जबकि असल में चर्चा उनकी बहन अनाम मिर्ज़ा के फैसले की थी।



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क्या यह तरीका सबके लिए कारगर है?


हालांकि UPI ऐप्स को हटाना सभी के लिए व्यवहारिक नहीं हो सकता, लेकिन इससे मिलने वाली सोच ज़रूर उपयोगी है:


अपने खर्चों का रिकॉर्ड रखें।


हर भुगतान से पहले सोचें—क्या यह वाकई ज़रूरी है?


समय-समय पर अपने डिजिटल व्यवहार का आकलन करें।



यह छोटी-सी आदतें हमें आर्थिक रूप से ज्यादा सशक्त बना सकती हैं।



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निष्कर्ष


अनाम मिर्ज़ा ने एक ऐसा कदम उठाया है जो आज के समय में न सिर्फ साहसी है, बल्कि शिक्षाप्रद भी है। डिजिटल दुनिया ने हमें जितनी सुविधा दी है, उतना ही अनजाने में नुकसान भी पहुंचाया है—खासतौर पर हमारे आर्थिक व्यवहार में।


“No scan = Less spend” सिर्फ एक वाक्य नहीं, बल्कि एक नई सोच है। यह सोच हमें सिखाती है कि असली समझदारी तब है, जब हम खर्च को अपनी सुविधा से नहीं, अपनी ज़रूरत और ज़िम्मेदारी से जोड़ें।



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