kedarnath helicopter crash
केदारनाथ हेलिकॉप्टर हादसा: एक धार्मिक यात्रा पर मौत का साया
15 जून 2025 की सुबह उत्तराखंड के केदारनाथ धाम की ओर जा रही एक धार्मिक यात्रा भयावह हादसे में बदल गई। Aryan Aviation का Bell-407 हेलिकॉप्टर, जिसमें सात लोग सवार थे, वह गौरीकुंड के पास एक पहाड़ी से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे ने न सिर्फ सात परिवारों को उजाड़ दिया, बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
हेलिकॉप्टर में एक महिला अपनी दो साल की बच्ची के साथ तीर्थयात्रा पर निकली थी, साथ में चार अन्य श्रद्धालु और एक अनुभवी पायलट भी सवार थे। लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। जैसे ही हेलिकॉप्टर ने केदारनाथ से उड़ान भरी, कुछ ही मिनटों में अचानक मौसम खराब हो गया। घना कोहरा छा गया और दृश्यता इतनी कम हो गई कि पायलट को दिशा पहचानने में परेशानी हुई। हेलिकॉप्टर पहाड़ से टकराया और देखते ही देखते आग की लपटों में घिर गया।
यह हादसा इतना गंभीर था कि किसी को बचने का मौका तक नहीं मिला। सभी सातों लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। घटनास्थल पर पहुंची बचाव टीम को सिर्फ जले हुए अवशेष मिले। हादसे की ख़बर फैलते ही सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों पर तूफ़ान आ गया। लोगों ने ग़म, गुस्से और सवालों से इंटरनेट भर दिया। देखते ही देखते "केदारनाथ हेलिकॉप्टर क्रैश" ट्रेंड करने लगा और लाखों लोग इसे सर्च करने लगे।
यह कोई पहला हादसा नहीं था। पिछले डेढ़ महीने में यह इस रूट की पाँचवीं हेलिकॉप्टर दुर्घटना थी। इससे पहले भी मौसम को नज़रअंदाज़ कर उड़ानों की अनुमति दी गई, जिसकी वजह से कई घटनाएँ सामने आईं। सवाल ये उठने लगे कि क्या प्रशासन सिर्फ श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने में रुचि रखता है, या उनकी सुरक्षा की भी कोई जिम्मेदारी है?
केदारनाथ की यात्रा बेहद कठिन और जोखिम भरी होती है, और यही वजह है कि हर साल हजारों श्रद्धालु हेलिकॉप्टर सेवा का सहारा लेते हैं। लेकिन जब यही सेवा असुरक्षित हो जाए, तो श्रद्धा डर में बदल जाती है। इस हादसे ने सरकार, एविएशन कंपनियों और यात्रियों – तीनों के सामने कड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने Aryan Aviation की सेवाएं तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दी हैं। साथ ही, सभी ऑपरेटरों को सख़्त निर्देश दिए गए हैं कि मौसम की स्थिति का पूरा विश्लेषण किए बिना कोई उड़ान नहीं भरी जाएगी। DGCA और AAIB ने जाँच शुरू कर दी है, और दोषी अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की जा चुकी है।
जनता की भावना इस हादसे के बाद आक्रोश से भरी हुई है। सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल उठाए हैं कि क्यों हर बार हादसे के बाद ही कोई कदम उठाया जाता है? क्या जानें जाने से पहले सुधार संभव नहीं? क्या श्रद्धालु सिर्फ एक संख्या बनकर रह गए हैं?
इस हादसे ने हमें फिर यह याद दिलाया कि आस्था की राह पर भी सुरक्षा की कीमत सबसे ऊपर होती है। सरकार और हेलिकॉप्टर ऑपरेटरों को मिलकर ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि भविष्य में कोई और मां अपनी बच्ची के साथ यूँ ही न बिछड़ जाए।
श्रद्धांजलि उन सभी यात्रियों को, जो इस यात्रा पर गए थे ईश्वर के दर्शन करने, और पहुँच गए उससे मिलने — हमेशा के लिए।

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