Apple और Foxconn की भाhttps://timespeakestruth.blogspot.com/2025/07/apple-foxconn-iphone.htmlरत में बड़ी योजना: iPhone उत्पादन का नया अध्याय"
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🟠 प्रस्तावना
पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक तकनीकी कंपनियों का फोकस तेजी से बदल रहा है। चीन, जो वर्षों से मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल हब रहा है, अब धीरे-धीरे अपनी पकड़ खो रहा है। इसके पीछे जियोपॉलिटिकल तनाव, लॉकडाउन की सख्ती और सप्लाई चेन की अस्थिरता जैसे कई कारण हैं। ऐसे में Apple और उसका प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर Foxconn अब भारत की ओर रुख कर रहे हैं। यह सिर्फ व्यापारिक बदलाव नहीं, बल्कि एक बड़ा रणनीतिक निर्णय है — जो भारत को वैश्विक तकनीकी मानचित्र पर एक नई पहचान दिला सकता है।
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🟠 भारत में iPhone उत्पादन की शुरुआत
Apple ने भारत में iPhone के कुछ मॉडल्स का उत्पादन 2017 में शुरू किया था, लेकिन वह सीमित था। अब 2024 आते-आते Apple ने Foxconn, Pegatron और Wistron जैसी कंपनियों के ज़रिए भारत में बड़े स्तर पर निर्माण शुरू कर दिया है। तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में Foxconn ने अपने प्लांट्स को विस्तार देना शुरू किया है।
2024 की पहली तिमाही में भारत से $3.2 बिलियन डॉलर के iPhones का निर्यात किया गया, जो पिछले साल से चार गुना अधिक है। इनमें से अधिकांश अमेरिका भेजे गए, जो बताता है कि Apple भारत को अब एक प्रमुख सप्लाई बेस मान रहा है।
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🟠 चीन की चुनौतियाँ और भारत की भूमिका
चीन में बढ़ती सख्ती, सरकार का बढ़ता हस्तक्षेप, और बार-बार लॉकडाउन जैसी स्थितियों ने बड़ी कंपनियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। Foxconn के झेंगझोउ प्लांट में हुए मज़दूर प्रदर्शनों और COVID प्रतिबंधों ने उत्पादन पर बुरा असर डाला।
इसके विपरीत भारत में सरकार की Production Linked Incentive (PLI) Scheme, ज़मीन की उपलब्धता, कम लागत वाले श्रमिक, और बड़ा उपभोक्ता बाजार— इन सभी ने Apple और Foxconn को आकर्षित किया।
भारत का लोकतांत्रिक ढांचा और स्थिर राजनीति भी इन कंपनियों के लिए भरोसेमंद साबित हो रही है। यही कारण है कि भारत अब ‘चीन+1’ रणनीति में सबसे पसंदीदा विकल्प बन चुका है।
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🟠 Foxconn का भारत में निवेश – आंकड़े और विस्तार
Foxconn भारत में अब तक $4 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश करने की घोषणा कर चुका है। इसके अंतर्गत:
तमिलनाडु में iPhone असेंबली प्लांट्स का विस्तार
तेलंगाना में AirPods निर्माण यूनिट
कर्नाटक में नया iPhone मैन्युफैक्चरिंग हब
साथ ही उत्तर प्रदेश में भी नई परियोजनाएं प्रस्तावित हैं
इन परियोजनाओं से न केवल तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा, बल्कि लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार भी मिलेगा।
🟠 सप्लाई चेन संकट और राजनीतिक असर
Apple की चीन पर निर्भरता ने उसे कई बार संकट में डाला है। जब चीन ने कुछ खास तकनीकी उपकरणों के निर्यात पर रोक लगाई और कुछ Apple इंजीनियरों को वीज़ा देने से इनकार कर दिया, तो भारत में Foxconn का उत्पादन प्रभावित हुआ।
यह घटनाएँ दर्शाती हैं कि अब व्यापार केवल व्यापार नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक हस्तक्षेप से प्रभावित हो रहा है। यही कारण है कि Apple जैसे ब्रांड अब ऐसी जगह उत्पादन करना चाहते हैं, जहाँ उन्हें राजनीतिक स्थिरता और सहयोग मिले।
भारत सरकार ने इस दिशा में तेजी से काम किया है, विशेष रूप से तकनीकी उपकरणों के आयात को आसान बनाकर और Foxconn जैसी कंपनियों को सहयोग देकर।
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🟠 क्या भारत अगला मैन्युफैक्चरिंग सुपरपावर है?
भारत में मैन्युफैक्चरिंग का भविष्य उज्ज्वल ज़रूर है, लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं:
कुशल श्रमिकों की कमी
लॉजिस्टिक्स नेटवर्क में सुधार की ज़रूरत
कुछ राज्यों में बिजली और इंफ्रास्ट्रक्चर की दिक्कतें
तकनीकी उपकरणों के लिए अब भी चीन पर निर्भरता
लेकिन सरकार की योजनाएँ, जैसे मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, और PLI स्कीम, इन चुनौतियों का समाधान खोज रही हैं। यदि यह रफ्तार जारी रही, तो भारत निश्चित ही एशिया का अगला तकनीकी हब बन सकता है।
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🟠 निष्कर्ष – तकनीक और आत्मनिर्भरता का संगम
Foxconn और Apple का भारत में विस्तार सिर्फ व्यापार की बात नहीं है, यह भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत कदम है। यह संकेत है कि भारत अब केवल एक उपभोक्ता नहीं, बल्कि एक निर्माता भी बन रहा है।
यह बदलाव आने वाले वर्षों में लाखों युवाओं को रोज़गार देगा, टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देगा, और भारत को वैश्विक सप्लाई चेन में एक केंद्रीय स्थान देगा।
Foxconn और Apple के इस फैसले ने दुनिया को यह दिखा दिया है कि भारत अब सिर्फ एक विकल्प नहीं — एक समाधान है।
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✍️ लेखिका: Afsana Wahid
📘 ब्लॉग: Time Speak Truth
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